हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया,
ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Monday, May 25, 2009
तुम्हारे साथ बैठें टाइम का कुछ use हो जाए , तुम्हे चाहें कि देखें दिल बहुत kanfuse जाए हमारी हर kahani हर जगह surkhi me हो dilvar कभी हम तुम मिले aese की brekingnews हो जाए