Monday, February 2, 2009

इक बोझ सा था दिल पे अचानक उतर गया

वो इस तरह से मन को उजालों से भर गया
जैसे कोई चिराग़ अंधेरों में धर गया
भूला कोई किसी को फ़क़त ख़्वाब समझ कर
कोई किसी के वास्ते हद से गुज़र गया
जाने क्या सोच कर मिरी आँखें उमड़ पड़ीं
इक बोझ सा था दिल पे अचानक उतर गया