Sunday, August 29, 2010

shambhu shikhar


इतनी महंगाई बढ़ गये है आज चारो तरफ।
अपनी अयाशियों के प्रूफ मिटा कैसे।
जेब में एक अट्ठनी नही मचिश के लिए।
तेरी खुशबु में बसे ख़त मैं जलता कैसे।

1 comment:

हरकीरत ' हीर' said...

मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ मेरे अंतर मन में हास्य के भूरुण पनप रहे होते हैं..

bahut khoob ...!!