Friday, August 21, 2009

कविता .....

(लड़कियां)
मौसम की पहली से
धरती की कोख में
दबे बीज से
निकले नन्हे बिरवे
बिल्कुल ऐसे ही लगते हैं
जैसे माँ की कोख से
धरती पर आई
नन्ही सी लड़की के
कोमल से चहरे
पे श्व्छंद हसीं...
लड़की बिल्कुल वैसे ही बढती है
जैसे तेज आंधी
गर्म धूप
और बारिश की मार
सहते हुए बढ़ते हैं
बिरवे पौधा बनने के लिए
कोयल की कूक से कूक
मिलाती लड़की
उड़ जाना चाहती है आकाश में
चाहती है देख सके बादलों के पार
अपार ये संसार
कि तभी उस के पंख काट लिए जाते हैं
बिल्कुल ऐसे जैसे पौधों में
नये ताजा हरे पत्तों को
खा जाती है गाय बकरियां
क्यूंकि की लड़किया पैदा नही होती
बनाई जाती
ठीक वैसे जैसे कैद कर लेते हैं हम
पौधे के खूबसूरत आकाश को
अपने घर के कोने में एक गमले के अन्दर
और ध्यान रखते हैं
कि एक भी पत्ता लांध ना पाये परीधी
क्यूंकि जानते हैं
जिस दिन भी पत्ते लांध जायेंगे परीधी
लड़किया डाल देंगी उस पार झूले
तोड़ देंगी उस जंजीर को
जिसमे रौशनी को कैद किया गया है...

Thursday, August 20, 2009

जम के बरसूँ मैं अपने जिस्म को बादल कर दूँ
आज खु़द को मैं तेरे प्यार में पागल कर दूँ
दूर ही दूर रहे तुझ से बलाएँ सारी
मैं ख़ुद को आज तेरी आँख का काजल कर दूँ
तू भटकता है कहाँ खुशबुओं कि चाहत में
आ मेरे पास तुझे छु के मैं संदल कर दूँ..

हास्य कविता ....

(श्रोता आचार सहिंता )

पढ़े-लिखे श्रोताओं का कवि सम्मलेन में आना
अब नहीं होगा आसान
क्यूंकि गेट पर खड़ा दरवान
आने वाले सभी श्रोताओं से
रजिस्टर में अंगूठा लगवाएगा
और जिसने भी साईन करने की कोशिश की
बहार से भगा दिया जायेगा।
अच्छी याददास्त वाले श्रोता भी
कवि सम्मलेन में बहुत बड़ी बाधा है
इनके ना आने में ही
कवि सम्मलेन और कविओं की भलाई है
क्यूंकि वर्षों से किसी भी बडे कवि ने
एक भी नई कविता नही सुनाई है..।
एक ही चुटकुले
को एक ही कवि सम्मलेन
में एक एक कर
सभी कविओं के मुहं से सुनने के बाद भी
जो श्रोता हस्त हुआ पाया जाएगा
उसका लक्की ड्रा करवाया जाएगा
ड्रा में जिस भी श्रोता का नाम आया
कवि रात्री -भोज उसी कि यहाँ खायेंगे
और धन्यवाद यापन में वही चुटकुला दोबारा सुनायेंगे।
श्रोता पुराने जूते-चप्पल पहनकर
कवि सम्मलेन में नही आयेंगे
और कव्यत्रिओं के लिए अतिरिक्त ताली भी नही बजायेंगे
हूट करने वाले श्रोता से १००० रूपये का जुर्माना लिया जाएगा
और तत्काल प्रभाव से ये राशी
हूट हुए कवि को दिया जाएगा ।
इस व्यवस्था से कवि फूले नही समाएंगे
खु़द को हूट करने के लिए श्रोताओं को
बार-बार उकसायेंगे।
श्रोता से आयोजक बने लोग जादा सम्मान पाएंगे
सारे कवि उन्हें अपना बडा भाई बताएँगे
कवि सम्मलेन के जुमले दोस्तों को सुनाते हुए पकड़े जाने पर
आयोजकों द्वारा क्लेम लिया जाएगा
आयोजक क्लेम की राशी खु़द नही खायेंगे
बल्कि उन पैसों से दुबारा कवि सम्मलेन करवाएंगे ।
कोई भी कवि से कविता का अर्थ नही पूछेगा
और कव्यत्रिओं से डेट ऑफ़ बर्थ नही पूछेगा
कवि किसीकी भी कविता को अपना कह कर सुनायेंगे
और कव्यत्रिओं को ५०० रूपये अतिरिक्त साज-सज्जा के लिए दिए जायेंगे
और आचार सहिंता का आखरी नियम तो सभी को अपनाना होगा
कविता चाहे कैसी भी हो खत्म होते ताली बजाना होगा।

हास्य कविता

(ऑफ़-सीज़न)
होली के कार्यक्रमों से
दीवाली मनाने के बाद
कवि सम्मेलनों में एक ऐसा दौर आता है
जिसे ऑफ़सीज़न के नाम से जाना जाता है।
मय-जून-जुलाई के ये महीने
हाय-हाय तेरे क्या कहने
इनदिनों पसीने के साथ-साथ
कार्यक्रम भी बह जाते हैं
बडे -बडे कवि खाली ही रह जाते हैं ।
खाली बैठे-बैठे हमने भी अपने
कवि मित्र को यूँ ही
खाली पीली में मिस कॉल किया ...
जिसका जबाब उसने भी मिस कॉल से ही दिया ॥
मिस कॉल पाते ही हमे बडी शान्ति मिली ....
क्यूंकि अगला भी था अपनी तरह खाली पीली ॥
वरना यही टॉप-सीज़न में हुआ होता
तो मिस कॉल के जबाब में ३-३ कॉल आ गया होता।
ऑफ़-सीज़न की महिमा अपरंपार है
बडे से बडे पफोर्मरे कवि भी इन दिनों शूट हो जाते हैं
और बिना कविता पढ़े ही हूट हो जाते हैं ।
बिचारा कवि ऑफ़-सीज़न में
ओक्स्सिज़ं भी कम ही लेता है
ओक्स्सिज़ं की अधिक मात्रा भूख बढ़ा देती है
और घर बैठे -बैठे ही आटा दाल के भाव बता देती है॥
कई दिनों से हम भी थे उदास
मन करता था फाड़ दे कलेंडर से ये तीन मास
कि तभी हमारे मोबाइल पर एक आयोजक मित्र का फ़ोन आया
फ़ोन उठाने से पहले हमने दूर-संचार विभाग का आभार जताया
फ़ोन उठाते ही आयोजक ने कहा....
"भाई साहब अगले सोमवार को हमारी बिटीया की शादी है
हमने विराट कवि सम्मलेन करवाने की ठानी है
आप भी जरुर आईयेगा
अपनी सबसे प्रसिद्ध रचना सुनायेगा"
कवि सम्मलेन का नाम सुनते ही
हमने बिना लिफाफे का वज़न पूछे हाँ कर दिया
और धन्यवाद ज्ञापन कर फ़ोन धड दिया
अगले सात दिन सात घंटे में बीत गये
हमने भी अपना शानदार नया वाला कुरता
जो कभी पुराना नही होता
स्पेशल धोबी से प्रेस करवाया
उसे दस रूपये देते हुए जेब जरा भी नही घबराया
कार्यक्रम स्थल पे पहुचने के लिए
महीनों बाद ऑटो भी किया
उसे भी पॉँच रूपये ज्यादा ही दिया
विवाह समारोह में
कविता पाठ को एक से एक बडे कवि आए थे
श्रोताओं को भी खूब भाये थे
हमने भी बहुत दिनों से कविता ना सुना पाने का
मलाल पूरा कर लिया
और एक एक कर १० कविताओं का दर्द
श्रोताओं के सिर भर दिया ।

मन ही मन हम बहुत हर्षा रहे थे
क्यूंकि हमारी कविता पे
आयोजक महोदय भी पूरा मज़ा उठा रहे थे
सम्मलेन समाप्त होते ही सारे कवि टूट पडे शादी के खाने पे
मगर हमारा ध्यान तो लगा था मोटे लिफाफे पे
बहुत देर बाद भी जब लिफाफा नही मिला
तो ऑफ़-सीज़न का मारा
बेचारा कवि मन बोल ही पडा
भाई साहब आप अगर मानदेय दे देते
तो हम भी घर की ओर हो लेते
मानदेय नाम सुनते ही आयोजक बोला
मानदेय की आप से कहाँ हुई थे बात
बाकी कविओं से भी पूछ लीजिये आप
सभी से बस खाना खिलाने की बात कही थी
आप ही बताईये
बिटीया की शादी में लिफाफे की बात सही थी?
इतना कह कर वो खिसक लिए
अपने तो होश ठिकाने हो लिए
कई मेहमानों को कन्यादान करते पाया
तो मज़बूरी में ही सही
मगर हम ने भी अपना फर्ज़ निभाया
१०१ रूपये का लिफाफा कन्या के हवाले किया
ऑफ़-सीज़न का प्रकोप लिए घर को पैदल ही चल दिया ।

Saturday, August 15, 2009

हास्य कविता

(श्रोता आचार सहिंता )

पढ़े-लिखे श्रोताओं का कवि सम्मलेन में आना
अब नहीं होगा आसान
क्यूंकि गेट पर खड़ा दरवान
आने वाले सभी श्रोताओं से
रजिस्टर में अंगूठा लगवाएगा
और जिसने भी साईन करने की कोशिश की
बहार से भगा दिया जायेगा।
अच्छी याददास्त वाले श्रोता भी
कवि सम्मलेन में बहुत बड़ी बाधा है
इनके ना आने में ही
कवि सम्मलेन और कविओं की भलाई है
क्यूंकि वर्षों से किसी भी बडे कवि ने
एक भी नई कविता नही सुनाई है..।
एक ही चुटकुले
को एक ही कवि सम्मलेन
में एक एक कर
सभी कविओं के मुहं से सुनने के बाद भी
जो श्रोता हस्त हुआ पाया जाएगा
उसका लक्की ड्रा करवाया जाएगा
ड्रा में जिस भी श्रोता का नाम आया
कवि रात्री -भोज उसी कि यहाँ खायेंगे
और धन्यवाद यापन में वही चुटकुला दोबारा सुनायेंगे।
श्रोता पुराने जूते-चप्पल पहनकर
कवि सम्मलेन में नही आयेंगे
और कव्यत्रिओं के लिए अतिरिक्त ताली भी नही बजायेंगे
हूट करने वाले श्रोता से १००० रूपये का जुर्माना लिया जाएगा
और तत्काल प्रभाव से ये राशी
हूट हुए कवि को दिया जाएगा ।
इस व्यवस्था से कवि फूले नही समाएंगे
खु़द को हूट करने के लिए श्रोताओं को
बार-बार उकसायेंगे।
श्रोता से आयोजक बने लोग जादा सम्मान पाएंगे
सारे कवि उन्हें अपना बडा भाई बताएँगे
कवि सम्मलेन के जुमले दोस्तों को सुनाते हुए पकड़े जाने पर
आयोजकों द्वारा क्लेम लिया जाएगा
आयोजक क्लेम की राशी खु़द नही खायेंगे
बल्कि उन पैसों से दुबारा कवि सम्मलेन करवाएंगे ।
कोई भी कवि से कविता का अर्थ नही पूछेगा
और कव्यत्रिओं से डेट ऑफ़ बर्थ नही पूछेगा
कवि किसीकी भी कविता को अपना कह कर सुनायेंगे
और कव्यत्रिओं को ५०० रूपये अतिरिक्त साज-सज्जा के लिए दिए जायेंगे
और आचार सहिंता का आखरी नियम तो सभी को अपनाना होगा
कविता चाहे कैसी भी हो खत्म होते ताली बजाना होगा।
जोड़ -तोड़ गठ-जोड़ जोड़ते करोड़
किंतु गुप्त रखते हैं निज खाता मत पूछिये
लेन देन जनता व नेताओं के बीच कैसा
कौन है भिखारी कौन दाता मत पूछिये
लोकतंत्र तेय राजनिती के खिलाड़ियों का
डाकू डॉन माफिया से नाता मत पूछिये
जनता बेचारी तो गुलाम की गुलाम रही
नेता हुए भाग्य के विधाता मत पूछिये...

Friday, August 14, 2009

जम कि बरसूँ मैं अपने जिस्म को बादल कर दूँ
आज खु़द को मैं तेरे प्यार में पागल कर दूँ
दूर ही दूर रहे तुझ से बलाएँ सारी
मैं ख़ुद को आज तेरी आँख का काजल कर दूँ
तू भटकता है कहाँ खुशबुओं कि चाहत में
आ मेरे पास तुझे छु के मैं संदल कर दूँ..