Kavi Sammelan is the integral part of Indian traditions which is not merely based on the philosophy of entertainment but it also works as a light house for the society. Tradition of organizing Kavi Sammelan is not a very new invent, it is quite older. Indians are habitual to enjoy poetic event of Kavi Sammelan since long and it is still continuing. It is important to make out that the Kavi Sammelan has changed its form and way of presentation according to the demand of new era and it is very fruitful. Huge gathering of the audience during the event of Kavi Sammelan is quite evident which is the clear sign that Kavi Sammlean is not only relevant but popular among the Indians and very well observe in Indian tradition. It is true that Kavi Sammelan has launched very new format according to present time requirement but interestingly Indian audience can still enjoy the older version of Kavi Sammelan which not only relevant but very popular…Kavi Sammelan is the poetic soul of Indian audience and will always remain. Now it is part of the social and cultural life of Indian. We organize Kavi Sammelan on various festival and social function like marriage and birthday. Kavi Sammelan is deeply rooted in the soul of the Indian audience.
Hasya Kavi Sammelan- Hasya Kavi Shambhu Shikhar
हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया, ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Wednesday, February 8, 2017
Kavi Sammelan and Indian Context
Kavi Sammelan is the integral part of Indian traditions which is not merely based on the philosophy of entertainment but it also works as a light house for the society. Tradition of organizing Kavi Sammelan is not a very new invent, it is quite older. Indians are habitual to enjoy poetic event of Kavi Sammelan since long and it is still continuing. It is important to make out that the Kavi Sammelan has changed its form and way of presentation according to the demand of new era and it is very fruitful. Huge gathering of the audience during the event of Kavi Sammelan is quite evident which is the clear sign that Kavi Sammlean is not only relevant but popular among the Indians and very well observe in Indian tradition. It is true that Kavi Sammelan has launched very new format according to present time requirement but interestingly Indian audience can still enjoy the older version of Kavi Sammelan which not only relevant but very popular…Kavi Sammelan is the poetic soul of Indian audience and will always remain. Now it is part of the social and cultural life of Indian. We organize Kavi Sammelan on various festival and social function like marriage and birthday. Kavi Sammelan is deeply rooted in the soul of the Indian audience.
Thursday, August 27, 2015
Wednesday, May 14, 2014
Tuesday, September 3, 2013
Monday, February 25, 2013
बजट हाज़िर है…
साल भर सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालो, सावधान हो जाओ! अब गेंद सरकार के पाले में है। बजट बक्सा बस खुलने ही वाला है। आशंका है कि इस बार का बजट कुछ इस प्रकार हो। सुरक्षा सरकार की पहली ज़िम्मेदारी है, इसलिये इस बार जूते-चप्पल और कालिख़ के दाम बढ़ा दिए जाएंगे। काले रंग के कपड़ों पर टैक्स कई गुना बढ़ जायेगा और मोमबत्तियाँ आधार कार्ड दिखाने पर भी नहीं मिलेंगी। सरकार की दूसरी ज़िम्मेदारी शिक्षा है, इसलिये अबके बजट में ग़रीब मेधावी छात्रों के लिये अतिरिक्त छात्रवृत्ति की व्यवस्था रखी जायेगी। छात्रवृत्ति पाना आसान थोड़े ही है। इसके लिये ग़रीब के साथ-साथ मेधावी होना भी अनिवार्य है। रोज़गार सरकार की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है, अतः जो लोग भारी भीड़ में जाकर सरकार विरोधी नारों के बीच सरकार की जय करने में समर्थ हैं, वेकेंसियाँ उनका इंतज़ार कर रही हैं। वैसे कुछ वेकेंसियाँ तो उन लोगों की भी मिकल सकती हैं, जो पुलिसिया लाठी से घायल लोगों को देरी से अस्पताल पहुँचाने में समर्थ हों। इसके अतिरिक्त विरोधियों के घर जाकर उनसे हिसाब मांगने में एक्सपर्ट लोग अपने सिलैंडरों की संख्या बढ़ा सकते हैं। टोपी पहन कर रेल यात्रा करने वालों से अतिरिक्त किराया वसूलने की सिफ़ारिश भी इस बजट में हो सकती है। फ़ेसबुक और ट्विटर पर कमेंट से भी कर प्राप्ति को इस बार नये विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। दलाली को कमीशन के नाम पर वैध किया जा सकता है। और विपक्ष भी इस मामले पर सरकार के सुर में सुर मिला सकता है। हवाई यात्रा सस्ती की जाएंगी और रेल तथा ऑटो के किराये बढ़ाए जाएंगे। ऐसा करके सरकार अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई पाटने का प्रयास करेगी। वैसे सरकार ने जब-जब अपना बजट बनाया है तब-तब जनता का बजट बिगड़ गया है। स्वयं को लोक-कल्याणकारी सिद्ध करने के लिये सरकार राजकोषीय घाटा दिखाती है। ये बात इतर है कि इसे पाटने के लिये ही अतिरिक्त टैक्स लगाये जाते हैं। आपके कर से भारत का निर्माण होता है। इसलिये निर्माण में भागीदारी निभाते रहिये और बजट का सम्मान कीजिये।
साल भर सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालो, सावधान हो जाओ! अब गेंद सरकार के पाले में है। बजट बक्सा बस खुलने ही वाला है। आशंका है कि इस बार का बजट कुछ इस प्रकार हो। सुरक्षा सरकार की पहली ज़िम्मेदारी है, इसलिये इस बार जूते-चप्पल और कालिख़ के दाम बढ़ा दिए जाएंगे। काले रंग के कपड़ों पर टैक्स कई गुना बढ़ जायेगा और मोमबत्तियाँ आधार कार्ड दिखाने पर भी नहीं मिलेंगी। सरकार की दूसरी ज़िम्मेदारी शिक्षा है, इसलिये अबके बजट में ग़रीब मेधावी छात्रों के लिये अतिरिक्त छात्रवृत्ति की व्यवस्था रखी जायेगी। छात्रवृत्ति पाना आसान थोड़े ही है। इसके लिये ग़रीब के साथ-साथ मेधावी होना भी अनिवार्य है। रोज़गार सरकार की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है, अतः जो लोग भारी भीड़ में जाकर सरकार विरोधी नारों के बीच सरकार की जय करने में समर्थ हैं, वेकेंसियाँ उनका इंतज़ार कर रही हैं। वैसे कुछ वेकेंसियाँ तो उन लोगों की भी मिकल सकती हैं, जो पुलिसिया लाठी से घायल लोगों को देरी से अस्पताल पहुँचाने में समर्थ हों। इसके अतिरिक्त विरोधियों के घर जाकर उनसे हिसाब मांगने में एक्सपर्ट लोग अपने सिलैंडरों की संख्या बढ़ा सकते हैं। टोपी पहन कर रेल यात्रा करने वालों से अतिरिक्त किराया वसूलने की सिफ़ारिश भी इस बजट में हो सकती है। फ़ेसबुक और ट्विटर पर कमेंट से भी कर प्राप्ति को इस बार नये विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। दलाली को कमीशन के नाम पर वैध किया जा सकता है। और विपक्ष भी इस मामले पर सरकार के सुर में सुर मिला सकता है। हवाई यात्रा सस्ती की जाएंगी और रेल तथा ऑटो के किराये बढ़ाए जाएंगे। ऐसा करके सरकार अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई पाटने का प्रयास करेगी। वैसे सरकार ने जब-जब अपना बजट बनाया है तब-तब जनता का बजट बिगड़ गया है। स्वयं को लोक-कल्याणकारी सिद्ध करने के लिये सरकार राजकोषीय घाटा दिखाती है। ये बात इतर है कि इसे पाटने के लिये ही अतिरिक्त टैक्स लगाये जाते हैं। आपके कर से भारत का निर्माण होता है। इसलिये निर्माण में भागीदारी निभाते रहिये और बजट का सम्मान कीजिये।
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