Monday, February 25, 2013

बजट हाज़िर है…

साल भर सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालो, सावधान हो जाओ! अब गेंद सरकार के पाले में है। बजट बक्सा बस खुलने ही वाला है। आशंका है कि इस बार का बजट कुछ इस प्रकार हो। सुरक्षा सरकार की पहली ज़िम्मेदारी है, इसलिये इस बार जूते-चप्पल और कालिख़ के दाम बढ़ा दिए जाएंगे। काले रंग के कपड़ों पर टैक्स कई गुना बढ़ जायेगा और मोमबत्तियाँ आधार कार्ड दिखाने पर भी नहीं मिलेंगी। सरकार की दूसरी ज़िम्मेदारी शिक्षा है, इसलिये अबके बजट में ग़रीब मेधावी छात्रों के लिये अतिरिक्त छात्रवृत्ति की व्यवस्था रखी जायेगी। छात्रवृत्ति पाना आसान थोड़े ही है। इसके लिये ग़रीब के साथ-साथ मेधावी होना भी अनिवार्य है। रोज़गार सरकार की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है, अतः जो लोग भारी भीड़ में जाकर सरकार विरोधी नारों के बीच सरकार की जय करने में समर्थ हैं, वेकेंसियाँ उनका इंतज़ार कर रही हैं। वैसे कुछ वेकेंसियाँ तो उन लोगों की भी मिकल सकती हैं, जो पुलिसिया लाठी से घायल लोगों को देरी से अस्पताल पहुँचाने में समर्थ हों। इसके अतिरिक्त विरोधियों के घर जाकर उनसे हिसाब मांगने में एक्सपर्ट लोग अपने सिलैंडरों की संख्या बढ़ा सकते हैं। टोपी पहन कर रेल यात्रा करने वालों से अतिरिक्त किराया वसूलने की सिफ़ारिश भी इस बजट में हो सकती है। फ़ेसबुक और ट्विटर पर कमेंट से भी कर प्राप्ति को इस बार नये विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। दलाली को कमीशन के नाम पर वैध किया जा सकता है। और विपक्ष भी इस मामले पर सरकार के सुर में सुर मिला सकता है। हवाई यात्रा सस्ती की जाएंगी और रेल तथा ऑटो के किराये बढ़ाए जाएंगे। ऐसा करके सरकार अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई पाटने का प्रयास करेगी। वैसे सरकार ने जब-जब अपना बजट बनाया है तब-तब जनता का बजट बिगड़ गया है। स्वयं को लोक-कल्याणकारी सिद्ध करने के लिये सरकार राजकोषीय घाटा दिखाती है। ये बात इतर है कि इसे पाटने के लिये ही अतिरिक्त टैक्स लगाये जाते हैं। आपके कर से भारत का निर्माण होता है। इसलिये निर्माण में भागीदारी निभाते रहिये और बजट का सम्मान कीजिये।

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