जिसका जैसा मन होता है
वैसा ही दरपन होता है
छोटे से दिल में भी यारो
बहुत बडा आँगन होता है
प्यार न जिससे बांटा जाये
कितना वो निर्धन होता है
जब भी वो मिलता है हम से
पतझड़ भी सावन होता है
सुख दुःख में जो साथ निभाए
सच्चा वो बंधन होता है
हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया, ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Saturday, September 12, 2009
Friday, September 11, 2009
Tuesday, September 8, 2009
शाम ढली है चाँद अभी निकला निकला
छत पर मैं अम्बर पे वो तनहा तनहा
छोड़ लड़कपन होश अभी संभला संभला
मौसम का हर रंग लगे बहका बहका
कभी भटकता रहता हूँ सहरा सहरा
कभी रहूँ मैं कागज़ पर बिखरा बिखरा
कच्ची उम्र का प्यार मेरा पहला पहला
संदल वन सा तन मेरा महका महका
आज मेरे चेहरे पर एक उदासी है
आज की शब है चाँद भी कुछ उतरा उतरा
छत पर मैं अम्बर पे वो तनहा तनहा
छोड़ लड़कपन होश अभी संभला संभला
मौसम का हर रंग लगे बहका बहका
कभी भटकता रहता हूँ सहरा सहरा
कभी रहूँ मैं कागज़ पर बिखरा बिखरा
कच्ची उम्र का प्यार मेरा पहला पहला
संदल वन सा तन मेरा महका महका
आज मेरे चेहरे पर एक उदासी है
आज की शब है चाँद भी कुछ उतरा उतरा
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