हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया,
ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
2 comments:
वाह वाह!
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
सचमुच हास्य भी शंभू के लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है... वर्ना ऐसे अशआर कैसे हो पाते
जिसका जैसा मन होता है
वैसा ही दरपन होता है
छोटे से दिल में भी यारो
बहुत बडा आँगन होता है
प्यार न जिससे बांटा जाये
कितना वो निर्धन होता है
सादर
अरुण अद्भुत
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