हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया,
ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Wednesday, February 29, 2012
सभी कामों को मैं अपने बड़ा ही फास्ट करता हूँ जहाँ से स्टार्ट करता हूँ वहीँ पे लास्ट करता हूँ विरोधी हूँ मैं जाती वर्ण की ओछी व्यवस्था का मोह्बत जब भी करता हूँ मैं इंटर कास्ट करता हूँ !
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