हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया, ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Wednesday, March 7, 2012
होली मेरा पसंदीदा त्यौहार है मगर कई सालों से मैं अपने परिवार के साथ नही मना पाता,दिनभर कवि सम्मेलनों का दौर चलता रहता है और आज भी कुछ ऐसी ही हालत है...सुबह १० बजे वसंत विहार क्लब ,११.३० लक्ष्मी नगर,१ बजे पंचशील पार्क,३.३० बजे आर के पुरम, ५.३० बजे हौजखास ,७ बजे डेरावल नगर ,८ बजे मियावाली नगर और सुबह ७ बजे flight फॉर रायपुर.................होली है.............................
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment