कुर्सी का कमाल,राजनिती के दलाल
डाल रौशनी पे जाल मोटा माल चरते रहे..
झूठे मूठे वायदों की मीठी मीठी गोलियों से
जनता कि धन से तिजोरी भरते रहे
एक ओर इन कि गोदामों में अनाज भरे
दूजी ओर भूखे प्यासे लोग मरते रहे
खु़द के विकास को ही देश का विकास मान
नेता गन अपना विकास करते रहे...
2 comments:
शम्भू भाई , आपमे छन्द की पकड देखने को मिली. एक रवानगी है. बिना गुरू तो ये सम्भव नही है. कुछ बतायेंगे क्या. आपके वाचन मे भी मौलिकता है. बधाई.
सत्य वचन
Post a Comment