तुम्हारी बात दीवारों से मैं दिन रात करता हूँ
मैं आईने से भी अक्सर तुम्हारी बात करता हूँ
नशा कैसा ये मुझे पे कर दिया तुमने मेरे हमदम
तुम्हें देखा नही फिर भी तुम्हारी बात करता हूँ....'
Kavi Sammelan Organizers
मैं आईने से भी अक्सर तुम्हारी बात करता हूँ
नशा कैसा ये मुझे पे कर दिया तुमने मेरे हमदम
तुम्हें देखा नही फिर भी तुम्हारी बात करता हूँ....'
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