Friday, February 10, 2012

तुम्हारी बात दीवारों से मैं दिन रात करता हूँ
मैं आईने से भी अक्सर तुम्हारी बात करता हूँ
नशा कैसा ये मुझे पे कर दिया तुमने मेरे हमदम
तुम्हें देखा नही फिर भी तुम्हारी बात करता हूँ....'





Kavi Sammelan Organizers

No comments: