हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया,
ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Saturday, April 21, 2012
सुना है तुमने आज मेरी याद को मिटा दिया खुदा करे ये झूठ हो, मेरे लिखे हुये सभी खतों को भी जला दिया खुदा करे ये झूठ हो। मेरे लबों से छीनकर हसीन मुस्कुराहटें जिसे हंसा रहे थे आप, सुना ये हैं उसी आज आपको रुला दिया खुदा करे ये झूठ हो।
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