जोड़ -तोड़ गठ-जोड़ जोड़ते करोड़
किंतु गुप्त रखते हैं निज खाता मत पूछिये
लेन देन जनता व नेताओं के बीच कैसा
कौन है भिखारी कौन दाता मत पूछिये
लोकतंत्र तेय राजनिती के खिलाड़ियों का
डाकू डॉन माफिया से नाता मत पूछिये
जनता बेचारी तो गुलाम की गुलाम रही
नेता हुए भाग्य के विधाता मत पूछिये...
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