Friday, September 11, 2009

कोई अच्छा बुरा नही होता
वक्त का कुछ पता नही होता

सब की खुशियों में गम में शामिल है
कोई यूँ ही खुदा नही होता

इश्क में रास्ते तो होते हैं
मंजिलों का पता नही होता

इक सी मजबूरियां रहे बेशक
हर कोई बेवफा नही होता

दिल में हरपल वो साँस लेता है
दर्द यूँही जवां नही होता

9 comments:

Admin said...

हर लफ्ज़ से निकला एक तीर
और सीधे सीने में जा लगा..

बहुत उम्दा रचना...

sandeep sharma said...

इकसी मजबूरियां रहे बेशक
हर कोई बेवफा नही होता

bahut khoob...

अपूर्व said...

इश्क में रस्ते तो होते हैं
मंजिलों का पता नही होता

बशीर साहब का एक शेर याद आ गया
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
कोई यूँ ही बेवफ़ा नही होता

...खूबसूरत

वाणी गीत said...

कुछ अच्छा बुरा नहीं होता ...वक़्त का कुछ पता नहीं होता ...सच ही है ..!!

Udan Tashtari said...

इश्क में रस्ते तो होते हैं
मंजिलों का पता नही होता

-बहुत खूब कहा!!

विवेक रस्तोगी said...

बेहतरीन रचना !!!

seema gupta said...

वाह रोचक...

regards

Vipin Behari Goyal said...

बहुत खूब कहा आपने

Arun Mittal "Adbhut" said...

बहुत ही अच्छी गजल हर शेर मुकम्मल .. ये एक मंझे हुए रचनाकार की निशानी है ....... बधाई ... अक्सर कम ही ऐसी गजलें पढने को मिलती है

सारे ही शेर मुझे तो बहुत पसंद आये. ये तो सचमुच ख़ास है ही ..

इक सी मजबूरियां रहे बेशक
हर कोई बेवफा नही होता

इस शेर ने मुझे और काम भी दे दिया है विश्लेषण करने के लिए ..

सादर

अरुण अद्भुत