कोई अच्छा बुरा नही होता
वक्त का कुछ पता नही होता
सब की खुशियों में गम में शामिल है
कोई यूँ ही खुदा नही होता
इश्क में रास्ते तो होते हैं
मंजिलों का पता नही होता
इक सी मजबूरियां रहे बेशक
हर कोई बेवफा नही होता
दिल में हरपल वो साँस लेता है
दर्द यूँही जवां नही होता
9 comments:
हर लफ्ज़ से निकला एक तीर
और सीधे सीने में जा लगा..
बहुत उम्दा रचना...
इकसी मजबूरियां रहे बेशक
हर कोई बेवफा नही होता
bahut khoob...
इश्क में रस्ते तो होते हैं
मंजिलों का पता नही होता
बशीर साहब का एक शेर याद आ गया
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
कोई यूँ ही बेवफ़ा नही होता
...खूबसूरत
कुछ अच्छा बुरा नहीं होता ...वक़्त का कुछ पता नहीं होता ...सच ही है ..!!
इश्क में रस्ते तो होते हैं
मंजिलों का पता नही होता
-बहुत खूब कहा!!
बेहतरीन रचना !!!
वाह रोचक...
regards
बहुत खूब कहा आपने
बहुत ही अच्छी गजल हर शेर मुकम्मल .. ये एक मंझे हुए रचनाकार की निशानी है ....... बधाई ... अक्सर कम ही ऐसी गजलें पढने को मिलती है
सारे ही शेर मुझे तो बहुत पसंद आये. ये तो सचमुच ख़ास है ही ..
इक सी मजबूरियां रहे बेशक
हर कोई बेवफा नही होता
इस शेर ने मुझे और काम भी दे दिया है विश्लेषण करने के लिए ..
सादर
अरुण अद्भुत
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