सभी कामों को मैं अपने बड़ा ही फास्ट करता हूँ
जहाँ से स्टार्ट करता हूँ वहीँ पे लास्ट करता हूँ
विरोधी हूँ मैं जाती वर्ण की ओछी व्यवस्था का
मोह्बत जब भी करता हूँ मैं इंटर कास्ट करता हूँ !
हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया, ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Wednesday, February 29, 2012
Friday, February 10, 2012
तुम्हारी बात दीवारों से मैं दिन रात करता हूँ
मैं आईने से भी अक्सर तुम्हारी बात करता हूँ
नशा कैसा ये मुझे पे कर दिया तुमने मेरे हमदम
तुम्हें देखा नही फिर भी तुम्हारी बात करता हूँ....'
Kavi Sammelan Organizers
मैं आईने से भी अक्सर तुम्हारी बात करता हूँ
नशा कैसा ये मुझे पे कर दिया तुमने मेरे हमदम
तुम्हें देखा नही फिर भी तुम्हारी बात करता हूँ....'
Kavi Sammelan Organizers
Saturday, February 4, 2012
Subscribe to:
Posts (Atom)