हास्य मेरे लिए पीड़ा की अभिव्यक्ति है...मैं जब कभी बहुत उदास होता हूँ तब मेरे अंतर मन में हास्य में के भूरुण पनप रहे होते हैं...और जब जब मेरा हास्य अपनी पराकास्ठा पर होता है तब मैं भावनाओं के असीम सागर में गोते लगा रहा होता हूँ ....अपने बारे में बस यही कह सकता हूँ...."कहीं रो लिया कहीं गा लिया कहीं बेवजह यूँही हँस दिया,
ये मिजाज़ कितना अजीब है मैं जुदा हूँ अपने ही आपसे "
Wednesday, July 15, 2009
जम कि बरसूँ मैं अपने जिस्म को बादल कर दूँ आज खु़द को मैं तेरे प्यार में पागल कर दूँ दूर ही दूर रहे तुझ से बलाएँ सारी मैं ख़ुद को आज तेरी आँख का काजल कर दूँ तू भटकता है कहाँ खुशबुओं कि चाहत में आ मेरे पास तुझे छु के मैं संदल कर दूँ..
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
6 comments:
पढ़ना ही मुश्किल हुआ शम्भू करें उपाय।
हरे रंग को छोड़कर दूजो रंग चढ़ाय।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
suman ji se sahamat
वाह!...मज़ा आ गया
not readable.narayan narayan
बधाई!
संभावनायें असीम हैं।
धन्यवाद!
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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